कोरोना महामारी और भारत के समक्ष चुनौतियां

कोरोना महामारी और भारत के समक्ष चुनौतिया - वैश्विक स्तर पर चल रही कोरोना वायरस महामारी से आज विश्व का लगभग हर देश इसके चपेट में आ गया है।

इस महामारी के चलते पुरे विश्व में आर्थिक एवं सामाजिक संकट उत्पन्न हो रहे है तथा इससे निपटने के लिए विश्व स्तर पर कई प्रकार के प्रयास किये जा रहे है।

कोरोना महामारी और भारत के समक्ष चुनौतियां


हालाँकि विश्व के अधिकतर देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर ही रहे थे कि अचानक कोरोना वायरस से फैली महामारी ने पुरे विश्व की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है।

दरअसल विश्व की फैक्टरी के नाम से स्थापित चीन में उत्पादन ठप पड़ा है जिसके कारण कच्चे माल की वैश्विक आपूर्ति बंद पड़ी हुयी है।

आर्थिक संकट


लिहाजा, बंद के चलते पुरे विश्व के व्यापर पर असर पड़ा है और बहुत से उद्योग बंद पड़े है। जिसके कारण विश्व के तमाम देशो में आर्थिक संकट उत्पन्न हो चूका है।

साथ ही इस स्थति से निपटने के लिए विभिन्न चुनोतियो का सामना करना पड़ रहा है। जहां तक भारत की बात है कोरोना वायरस के चलते विभिन्न प्रतिबंधनात्मक उपाय किये है। जैसे लॉक डाउन, जनता कर्फ्यू, सामाजिक दुरी बनाना, वर्क फ्रॉम होम इत्यादि।

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लिहाजा इसके चलते उद्योग, पर्यटन, निजी सेक्टर, सार्वजनिक सेवा, परिवहन, आयत-निर्यात इत्यादि सब बंद पड़े है। जिसके कारण लोगो मैं अफरा-तफरी का माहौल है साथ ही साथ भारत के लिए इस महामारी से निपटने के लिए चुनौतियां भी है।

लॉक डाउन


दरअसल लॉक डाउन के चलते भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसका प्रभाव देखने को मिला है।  इनमे सबसे ज्यादा प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक सतुंलन की व्यवस्था बनाये रखना उसके सामने बड़ी चुनौती है। साथ ही इससे निपटने के लिए समय रहते कारगर उपाय करने होंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आव्हान


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आव्हान पर 21 दिन के लॉक डाउन का असर शहर से लेकर गांव-देहात पर दिखाई दिया।  हालाँकि लॉक डाउन ही एक मात्र इस समस्या से
उभरने का मात्र विकल्प था।  जिसके कारण लोग आपस में सामाजिक दुरी बनाये रखे ताकि लोग इस संक्रमण की चपेट में न आ सके।  क्योंकि अभी तक कोरोना वायरस की कोई वेक्सिन तैयार नही हुयी है।

संकट के बादल


लॉक डाउन के चलते सबसे ज्यादा असर असंगठित क्षेत्र के श्रमिको पर और देहादी मजदूरो पर पड़ा है। भारत में अधिकतर श्रमिक अनोपचारिक क्षेत्रो से अकुशल श्रमिक है।  लिहाजा उनकी आजीविका एवम् घरेलु आवश्यकता पर संकट के बादल छा गये है।

भारत की अर्थव्यवस्था


मसलन भारत की अर्थव्यवस्था कृषि ग्रामीण आधारित है। कृषि, मानसून पर निर्भर है और मानसून की अस्थिरता के कारण लिहाजा श्रमिको को रोजगार के लिए शहरों की और प्रवास करना पड़ता है लेकिन लॉक डाउन के चलते ये उद्योग धंधे बंद है, फेक्ट्रिया बंद है, बाज़ार बंद है जिसके चलते श्रमिको को रोजगार की सबसे बड़ी समस्या पैदा हो गयी है।

मसलन श्रमिक अपने गाँव की और बड़ी मात्रा मै पलायन करने लगे।  जाहिर है महामारी के चलते पूरी भारतीय अर्थवयवस्था चोपट हो चुकी है लिहाजा इसे पुनर्स्थापित करना तथा वैश्विक स्तर पर अपनी छवि को बरकरार रखना भारत के सामने बड़ी चुनोती है।

हालांकि भारत के सामने अपनी आन्तरिक समस्याए भी अधिक है। जैसे स्वास्थ्य, पेयजल, अवसरंचना, शिक्षा, रोजगार, महंगाई, आतंकवाद, NRC इत्यादि समस्याओ से भारत घिरा पड़ा है।

लेकिन फ़िलहाल हम कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न चुनोतियो की बात करेंगे की भारत इस समस्याओ से निजात पाने के लिए क्या कारगर उपाय करता है।

रोजगार के आभाव


लिहाजा रोजगार के आभाव में सभी श्रमिक अपने घरो में है जिनके कारण उन्हें भोजन एवम् रोजमर्रा आवश्यक घरेलु सामग्री की समस्या है।

सरकार का दायित्व बनता है की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खद्यान्न सहित आवश्यक सामग्री उन तक पहुचाये।

साथ ही यह सुनिश्चित करे की कोई लॉक डाउन के चलते भुखमरी का शिकार न हो, कोई भोजन से वंचित न रह सके।

साथ ही साथ केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवम् प्रशासन से मिलकर लोगो के जन धन खातो, पेंशन खातो, राशन कार्ड, आधार कार्ड आदि के माध्यम से उन्हें अग्रिम भुगतान करे ताकि उनकी आजीविका सुचारू रूप से चलती रहे और रोजमर्रा की जिंदगी में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो सके।

कोरोना महामारी और भारत के समक्ष चुनौतियां



मिड डे मिल एवम् आंगनबाड़ी जैसे कार्यक्रम चालू रहे जिससे बच्चो को पोषण एवम् स्वास्थ्य लाभ मिलता रहे।

वर्तमान दौर सरकार के लिए संकट और चुनोतियों से भरा है। देश की न केवल आर्थिक व्यवस्था खस्थाहाल में है बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी भारत की स्थति ठीक नही है।

जाहिर है सरकार के सामने उद्योगों को पुनर्स्थापित करने की बड़ी चुनोती रहेगी। इसके लिए सरकार को NRI को भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित करना होगा।  साथ ही साथ भारत को विदेश में निर्यात के लिए नये विकल्प तलाशने होंगे।

वैश्विक स्तर पर मांग


वैश्विक स्तर पर मांग-आपूर्ति की चैन को संतुलित रखने के लिए बड़े राहत पैकेज उद्योगों को देने होंगे। घरेलु उत्पादकों को प्रोत्साहन देना होगा उनके लिए कम ब्याज पर ऋण की व्यवस्था करनी होगी ताकि उधोग आगे बढ़ सके।

जिससे लोगो को रोजगार मिल सके, बेरोजगारी से बाहर आ सके, ग्रामीण अर्थव्यवस्था भारत की रीढ़ है वो दुरुस्त हो सके, लोग खुशहाल व स्वस्थ जीवन जी सके।

भारत को चाहिए की वो सभी राजनेतिक दलों के साथ इस समस्या से निजात पाने के लिए कारगर उपाय ढूंढे साथ ही विभिन्न स्तरों पर विकल्पों की तलाश करे।

ताकि वैश्विक स्तर पर भारत अपने आप को पुनर्स्थापित कर सके। भारत, कालाबाजारी, मुनाफाखोरी इत्यादि पर लगाम लगाये ताकि लोगो का विश्वास सरकार पर बरकरार रहे।

सरकार लोगो को भरोसा दिलवाए


सरकार लोगो को भरोसा दिलवाए की हम आपके लिए चिंतित है तथा लगातार इस महामारी से उत्पन्न समस्या के कारण हम आपके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़े है। किसी को भी हतोत्साहित होने की जरुरत नही है।

महामारी समाप्ति के बाद भारत को निर्यात और घरेलू उत्पाद की क्षमता को बढ़ाकर वैश्विक आपूर्ति श्रंखला में अपनी भागीदारी बढ़ा सकता है।

सरकार को इसे अवसर के रूप में लेते हुए घरेलू उद्योगों को मजबूत करना होगा ताकि महामारी से उभरने के बाद लोगो का विश्वास जीता जा सके।

ललित कुमार जीनगर
(स्वतंत्र पत्रकार )
lalit.space10@gmail.com
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