50 रू किलो बिकने वाली सब्जी 5 व 10 रू किलो के भाव में बेचने को मजबूर किसान - देवी शंकर सुखवाल राशमी
कोरोना का असर
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लॉक डाउन से सब्जियों के भाव पर लगा लाॅक 50 रू किलो बिकने वाली सब्जी 5 व 10 रू किलो के भाव में बेचने को मजबूर किसान
कोरोना महामारी के चलते लोक डाउन के तहत मंडियों में किसानों को अपनी सब्जी के आधे भाव भी नहीं मिल रहे हैं।
इस समय जो सब्जियां 40 से 50रू किलो मंडी में बिकती है वह सब्जी मात्र ₹5 व ₹10 किलो में बिक रही है ऐसे में किसानों की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने लग गई है।
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ऐसे समय में किसानों को आस है कि सरकार उनकी भी कुछ मदद करेगी इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए किसानों को आर्थिक संबल प्रदान करने की जरूरत है।
राशमी उपखंड पूरा ग्रामीण इलाके का है व यहां सभी किसान परिवार रहते हैं जो हर मौसम की सभी तरह की सब्जियों का उत्पादन करते हैं
ऐसे में यहां राशमी कस्बे में सरकारी सब्जी मंडी नहीं है उपखंड क्षेत्र के किसान लाॅक डाउन के चलते बाहरी मंडियों में भी अपनी सब्जियों को नहीं पहुंचा पा रहे है
ऐसे में कस्बे में संचालित थोक सब्जी विक्रेताओं के यहां सब्जियों की भीड़ लग जाती है जितने ग्राहक लेने वाले नहीं हैं उससे ज्यादा सब्जी आ जाती है
ऐसे में उनके भाव नहीं मिल रहे हैं। इस तरह हर सब्जी के भाव नहीं मिलने से किसान चिंतित हो गया है क्योंकि हाडतोड़ मेहनत करने के बाद जो सब्जियां उगाई जाती है
अगर उनको बेचने पर उस में लगी मेहनत के बराबर भी अगर उनको पैसा नहीं मिले तो फिर इतनी मेहनत कर सब्जियां उगाने का क्या फायदा।
राशमी क्षेत्र में भिंडी, मिर्च, करेला, बैंगन, तर काकडी, खीरा, तरबूज, प्याज, टमाटर सहित कई तरह की सब्जियां गांवों में किसानों ने लगा रखी है
मगर कोरोना महामारी के चलते बाहरी मंडियों में अपनी सब्जियों को नहीं पहुंचा पाने व यहां लोकल उनका इतना भाव नहीं मिलने से किसान नर्वस हो रहे हैं।
50 रू किलो बिकने वाली सब्जी 5 व 10 रू किलो के भाव में बेचने को मजबूर किसान
किसानों को आर्थिक संबल प्रदान करने की जरूरत
लॉक डाउन से सब्जियों के भाव पर लगा लाॅक 50 रू किलो बिकने वाली सब्जी 5 व 10 रू किलो के भाव में बेचने को मजबूर किसान
कोरोना महामारी के चलते लोक डाउन के तहत मंडियों में किसानों को अपनी सब्जी के आधे भाव भी नहीं मिल रहे हैं।
इस समय जो सब्जियां 40 से 50रू किलो मंडी में बिकती है वह सब्जी मात्र ₹5 व ₹10 किलो में बिक रही है ऐसे में किसानों की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने लग गई है।
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सरकार कुछ मदद करेगी क्या ?
ऐसे समय में किसानों को आस है कि सरकार उनकी भी कुछ मदद करेगी इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए किसानों को आर्थिक संबल प्रदान करने की जरूरत है।
राशमी उपखंड
राशमी उपखंड पूरा ग्रामीण इलाके का है व यहां सभी किसान परिवार रहते हैं जो हर मौसम की सभी तरह की सब्जियों का उत्पादन करते हैं
ऐसे में यहां राशमी कस्बे में सरकारी सब्जी मंडी नहीं है उपखंड क्षेत्र के किसान लाॅक डाउन के चलते बाहरी मंडियों में भी अपनी सब्जियों को नहीं पहुंचा पा रहे है
थोक सब्जी विक्रेताओं
ऐसे में कस्बे में संचालित थोक सब्जी विक्रेताओं के यहां सब्जियों की भीड़ लग जाती है जितने ग्राहक लेने वाले नहीं हैं उससे ज्यादा सब्जी आ जाती है
ऐसे में उनके भाव नहीं मिल रहे हैं। इस तरह हर सब्जी के भाव नहीं मिलने से किसान चिंतित हो गया है क्योंकि हाडतोड़ मेहनत करने के बाद जो सब्जियां उगाई जाती है
सब्जियां उगाने का क्या फायदा
अगर उनको बेचने पर उस में लगी मेहनत के बराबर भी अगर उनको पैसा नहीं मिले तो फिर इतनी मेहनत कर सब्जियां उगाने का क्या फायदा।
राशमी क्षेत्र में भिंडी, मिर्च, करेला, बैंगन, तर काकडी, खीरा, तरबूज, प्याज, टमाटर सहित कई तरह की सब्जियां गांवों में किसानों ने लगा रखी है
मगर कोरोना महामारी के चलते बाहरी मंडियों में अपनी सब्जियों को नहीं पहुंचा पाने व यहां लोकल उनका इतना भाव नहीं मिलने से किसान नर्वस हो रहे हैं।
50 रू किलो बिकने वाली सब्जी 5 व 10 रू किलो के भाव में बेचने को मजबूर किसान
= देवीशंकर सुखवाल राशमी =
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