असाध्य रोगों में रामबाण इलाज है नीम का पेड़
नीम का पेड़ कई तरह की बीमारियों को खत्म करने की दवा है।
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नीम के पत्तों का रोजाना सेवन करने से शरीर की कई तरह की बीमारियां दूर होती है वही नीम की टहनी से दांतों का मंजन करने से भी मुंह संबंधी कई तरह की बीमारी दूर हो जाती है।
इस समय नीम के पेड़ पर दूर से ही सफेद चादर दिखाई देती है क्योंकि इस समय उन पर फूलों के झुमके लटके हुए हैं वही निंबोली(नीम का फल) भी बनने लग गई है।
यह एक तरह की अचंभित बात है कि नीम का पेड़ पूरी तरह से अपनी जड़ से लगाकर पतों तक पूरा कड़वाहट से भरा होता है मगर जब उनके निम्बोली लगती है
तो वह अमृत के समान मीठी होती है यानी जहर से भरे हुए समुद्रर के बीच अमृत की मीठी बूंद होती है।
इसलिए नीम के पेड़ का हर एक भाग शरीर के लिए व वातावरण के लिए लाभदायक होता है।
इस समय सुबह-सुबह वातावरण में नीम के फूलों की खुशबू फैली हुई होती है नीम के पेड़ के पास जाते ही उनके फूलों की मीठी सुगंध मन व मस्तिष्क को सुकून प्रदान करती है।
वेद पुराणों में भी नीम के पेड़ को असाध्य रोगों की दवा माना गया है। ग्रामीण इलाकों में आज भी नीम के नए पत्तों का सेवन करने का सिलसिला चलता है।
इस समय नीम के पेड़ पर नए पत्ते आ चुके हैं उन कोमल कोमल कलियों को पीसकर रोजाना 2-3 घूंट उनकी पीने से शरीर की विभिन्न तरह की बीमारियां खत्म हो जाती है व शरीर को गर्मी से राहत मिलती है।
जहरीले जीवो द्वारा होने वाला चर्म रोग व शरीर की एलर्जी भी नीम के पत्तों के सेवन से नष्ट होती है।
अचानक शरीर पर खुजली चलना, लाल लाल धब्बे बन जाना आमतौर पर ऐसा होता है ऐसे समय में नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से स्नान करने पर चर्म रोग संबंधी सभी तरह की बीमारी नष्ट होती है।
ग्रामीण इलाकों में आज भी नीम के पेड़ से बरसात के मौसम का अनुमान लगाया जाता है।
गांवों में किसान लोग जैसे ही नीम की निंबोली पकना शुरू हो जाती है तब किसानों को आस होती है कि अब बरसात शुरू होने वाली है।
इस तरह निंबोली पकते ही किसान कहने लगता है कि अब बरसात का मौसम शुरू हो जाएगा।
आज भी गांवों में महिलाएं निंबोली के सूखे हुए बीजों में से गुठली निकाल कर उसका पेस्ट बनाकर अपने बालों में लगाती है इससे बालों की जड़ें मजबूत होती है
व बालों में पड़ने वाली जुएं नष्ट होती है वही बालों संबंधी बीमारियां भी दूर होती है।
असाध्य रोगों में रामबाण इलाज है नीम का पेड़
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असाध्य रोगों में रामबाण इलाज है नीम का पेड़ |
नीम के पत्तों का रोजाना सेवन करने से शरीर की कई तरह की बीमारियां दूर होती है वही नीम की टहनी से दांतों का मंजन करने से भी मुंह संबंधी कई तरह की बीमारी दूर हो जाती है।
इस समय नीम के पेड़ पर दूर से ही सफेद चादर दिखाई देती है क्योंकि इस समय उन पर फूलों के झुमके लटके हुए हैं वही निंबोली(नीम का फल) भी बनने लग गई है।
जहर से भरे समुद्र के बीच अमृत की मीठी बूंद के समान होती है निंबोली
यह एक तरह की अचंभित बात है कि नीम का पेड़ पूरी तरह से अपनी जड़ से लगाकर पतों तक पूरा कड़वाहट से भरा होता है मगर जब उनके निम्बोली लगती है
तो वह अमृत के समान मीठी होती है यानी जहर से भरे हुए समुद्रर के बीच अमृत की मीठी बूंद होती है।
इसलिए नीम के पेड़ का हर एक भाग शरीर के लिए व वातावरण के लिए लाभदायक होता है।
इस समय सुबह-सुबह वातावरण में नीम के फूलों की खुशबू फैली हुई होती है नीम के पेड़ के पास जाते ही उनके फूलों की मीठी सुगंध मन व मस्तिष्क को सुकून प्रदान करती है।
वेद पुराणों में भी नीम के पेड़ को असाध्य रोगों की दवा माना गया है। ग्रामीण इलाकों में आज भी नीम के नए पत्तों का सेवन करने का सिलसिला चलता है।
इस समय नीम के पेड़ पर नए पत्ते आ चुके हैं उन कोमल कोमल कलियों को पीसकर रोजाना 2-3 घूंट उनकी पीने से शरीर की विभिन्न तरह की बीमारियां खत्म हो जाती है व शरीर को गर्मी से राहत मिलती है।
कई तरह का चर्म रोग भी नीम के पत्तों से नष्ट होता है
जहरीले जीवो द्वारा होने वाला चर्म रोग व शरीर की एलर्जी भी नीम के पत्तों के सेवन से नष्ट होती है।
अचानक शरीर पर खुजली चलना, लाल लाल धब्बे बन जाना आमतौर पर ऐसा होता है ऐसे समय में नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से स्नान करने पर चर्म रोग संबंधी सभी तरह की बीमारी नष्ट होती है।
निंबोली पकने पर लगता है बरसात का अनुमान
ग्रामीण इलाकों में आज भी नीम के पेड़ से बरसात के मौसम का अनुमान लगाया जाता है।
गांवों में किसान लोग जैसे ही नीम की निंबोली पकना शुरू हो जाती है तब किसानों को आस होती है कि अब बरसात शुरू होने वाली है।
इस तरह निंबोली पकते ही किसान कहने लगता है कि अब बरसात का मौसम शुरू हो जाएगा।
निंबोली की गुठली का पेस्ट बनाकर बालों में लगाया जाता है
आज भी गांवों में महिलाएं निंबोली के सूखे हुए बीजों में से गुठली निकाल कर उसका पेस्ट बनाकर अपने बालों में लगाती है इससे बालों की जड़ें मजबूत होती है
व बालों में पड़ने वाली जुएं नष्ट होती है वही बालों संबंधी बीमारियां भी दूर होती है।
असाध्य रोगों में रामबाण इलाज है नीम का पेड़
= देवीशंकर सुखवाल राशमी(चितौड़गढ़) =
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