मातृकुंडिया (मेवाड़ के हरिद्वार मातृकुंडिया) में पहली बार सन्नाटा : लॉक डाउन का असर
इतिहास में पहली बार मेवाड़ के हरिद्वार मातृकुंडिया में विश्वव्यापी महामारी कोरोना के कारण देशभर में लॉक डाउन के चलते शिव की पवित्र नगरी मेवाड़ के हरिद्वार मातृकुंडिया में सन्नाटा छाया हुआ है।
जहां इस पवित्र वैशाख महीने में तीर्थ नगरी में हजारों लोगों की दिनभर भीड़ रहती है उस जगह पर पशु पक्षी व बंदर उछल कूद कर रहे हैं।
मंदिरों, धर्मशालाओं की छतों पर जहां हजारों परिंदे दाना चुगते हैं वह आजकल इधर-उधर उड़ान भरने में लगे हुए हैं
वही रोजाना प्रसाद व तरह तरह के फल फ्रूट खाने वाले बंदर भी जहां कहीं इक्का-दुक्का लोग नजर आते हैं तो दौड़कर उनके पास चले आते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि कुछ ना कुछ खाने को देगा।
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तीर्थ नगरी में मंगलेश्वर महादेव के मुख्य मंदिर सहित सर्व समाजों के मंदिरों, पवित्र कुंड के बीच द्वारिकाधीश का मंदिर, पवित्र कुंड के सभी घाटों, बस स्टैंड, लक्ष्मण झूला सहित पूरी तीर्थ नगरी में कहीं पर भी लोग दिखाई नहीं देते हैं।
लॉक डाउन के चलते पहली बार द्वारिकाधीश मंदिर में जाने के लिए नदी पर बने लक्ष्मण झूले के मुख्य द्वार पर ताला लगाकर बंद किया गया है ताकि कोई इधर-उधर न जा सके ऐसे में झूले पर इस समय बंदरों की उछल कूद नजर आती है।
मातृकुंडिया (मेवाड़ के हरिद्वार मातृकुंडिया) में पहली बार सन्नाटा : लॉक डाउन का असर
इतिहास में पहली बार मेवाड़ के हरिद्वार मातृकुंडिया में विश्वव्यापी महामारी कोरोना के कारण देशभर में लॉक डाउन के चलते शिव की पवित्र नगरी मेवाड़ के हरिद्वार मातृकुंडिया में सन्नाटा छाया हुआ है।
जहां इस पवित्र वैशाख महीने में तीर्थ नगरी में हजारों लोगों की दिनभर भीड़ रहती है उस जगह पर पशु पक्षी व बंदर उछल कूद कर रहे हैं।
मंदिरों, धर्मशालाओं की छतों पर जहां हजारों परिंदे दाना चुगते हैं वह आजकल इधर-उधर उड़ान भरने में लगे हुए हैं
मगर दूर-दूर तक कहीं दाना नजर नहीं आता क्योंकि जब भक्त लोग ही अगर यहां नहीं पहुंच रहे हैं तो पक्षियों को दाना पानी कौन डालेगा
वही रोजाना प्रसाद व तरह तरह के फल फ्रूट खाने वाले बंदर भी जहां कहीं इक्का-दुक्का लोग नजर आते हैं तो दौड़कर उनके पास चले आते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि कुछ ना कुछ खाने को देगा।
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तीर्थ नगरी में मंगलेश्वर महादेव के मुख्य मंदिर सहित सर्व समाजों के मंदिरों, पवित्र कुंड के बीच द्वारिकाधीश का मंदिर, पवित्र कुंड के सभी घाटों, बस स्टैंड, लक्ष्मण झूला सहित पूरी तीर्थ नगरी में कहीं पर भी लोग दिखाई नहीं देते हैं।
मेवाड़ के हरिद्वार मातृकुंडिया के इतिहास में ऐसा सन्नाटा पहली बार छाया है।
पहली बार लगा लक्ष्मण झूले के ताला
लॉक डाउन के चलते पहली बार द्वारिकाधीश मंदिर में जाने के लिए नदी पर बने लक्ष्मण झूले के मुख्य द्वार पर ताला लगाकर बंद किया गया है ताकि कोई इधर-उधर न जा सके ऐसे में झूले पर इस समय बंदरों की उछल कूद नजर आती है।
वैशाख महीने में पहली बार साफ हुआ पवित्र कुंड का जल
मातृकुंडिया पवित्र शिव नगरी के रूप में प्रसिद्ध है वही यहां मेवाड़ की गंगा बनास नदी बहती है
ऐसे में यहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग अपने पूर्वजों के अस्थि विसर्जन के लिए पहुंचते हैं ऐसे में इस पवित्र कुंड का जल हमेशा गंदा रहता है
मगर इस बार लॉक डाउन के चलते पिछले करीब 2 महीनों से यहां लोगों की आवाजाही नहीं होने से कुंड काजल बिल्कुल साफ सुथरा भरा हुआ है वही घाटों पर भी किसी भी तरह की गंदगी नहीं है घाट भी बिल्कुल साफ सुथरे है।
मातृकुंडिया (मेवाड़ के हरिद्वार मातृकुंडिया) में पहली बार सन्नाटा : लॉक डाउन का असर
= देवीशंकर सुखवाल राशमी =
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