Happy Hypoxia है युवाओं के के लिए सब से बड़ा ख़तरा हो सकती है मौत
COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान मरीजों में घातक बीमारी के कई रहस्यमय रूप सामने आए हैं।
इन्हीं में से एक है, 'हैप्पी हाइपोक्सिया'।
दूसरी लहर के दौरान हैप्पी हाइपोक्सिया के सबसे ज्यादा शिकार युवा हुए हैं, इस बात को लेकर डॉक्टर भी चिंतित हैं।
किलर Happy Hypoxia
दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में भर्ती होने वाले अधिकतर युवाओं के 'हैप्पी हाइपोक्सिया' (Happy Hypoxia) से पीड़ित होने की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
'हैप्पी हाइपोक्सिया' को COVID-19 रोगियों के लिए साइलेंट किलर माना जा रहा है।
युवाओं की अधिक मौत का कारण भी हैप्पी हाइपोक्सिया को ही माना गया है।
घातक बीमारी हैप्पी हाइपोक्सिया क्या है?
हैप्पी हाइपोक्सिया कोरोना मरीज को असल स्थिति से अनजान रखता है।
मेडिकल एक्सपर्ट के मुताबिक हैप्पी हाइपोक्सिया की स्थिति में खून में ऑक्सीजन लेवल बेहद कम हो जाता है।
लेकिन फिर भी मरीज को इस बात का अहसास ही नहीं होता है।
मरीज को लगता है कि सब कुछ सामान्य ही तो है। यह स्थिति जानलेवा बन जाती है।
हैप्पी हाइपोक्सिया, शरीर के अंदर से करता है बेहद नुकसान
डॉक्टरों के अनुसार 'हैप्पी हाइपोक्सिया' से पीड़ित मरीज में ऑक्सीजन कम होने के बाद,
शरीर के कई अंग काम करना बंद करने लगते हैं लेकिन मरीज को देखकर ऐसा लगेगा कि वह एक दम सही है।
ज्यादातर मरीज सामान्य तरीके से बैठ-उठ पाते हैं।
बातचीत करते रहते हैं, फोन का उपयोग भी करते रहते हैं लेकिन अंदर ही अंदर बड़ा नुकसान हो रहा होता है।
हैप्पी हाइपोक्सिया, युवाओं पर सबसे ज्यादा असर
ये बीमारी सबसे अधिक असर युवाओं पर करती है।
युवाओं में संक्रमण के काफी दिनों बाद भी सांस फूलने जैसे लक्षण का पता नहीं चल पाता है।
जबकि हैप्पी हाइपोक्सिया से पीड़ित मरीज का ऑक्सीजन लेवल लगभग 40 प्रतिशत तक गिर जाता है।
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हैप्पी हाइपोक्सिया की पहचान
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