आई फ्लू से बचने के लिए क्या करें? | What to do to avoid eye flu?

आई फ्लू से बचने के लिए क्या करें?

आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में आई फ्लू यानी कंजक्टिवाइटिस के इलाज का चार अरब डॉलर से ज्यादा का कारोबार है। 

दुनिया के सभी महादेशों में बड़ी संख्या में लोग आई फ्लू यानी कंजक्टिवाइटिस से प्रभावित हो रहे हैं। 

आई फ्लू से बचने के लिए क्या करें? | What to do to avoid eye flu?
आई फ्लू से बचने के लिए क्या करें?


तो आइये जानते है क्या है यह आई फ्लू यानी कंजक्टिवाइटिस

आई फ्लू यानी कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) एक वायरल इंफेक्शन है, जिसकी वजह से आंखें लाल हो जाती है और सूजन आने लगती है. 

आम लोगों की भाषा में इसे आंख आना भी कहते हैं। 

आंखों में खुजली और दर्द होने लगता है. आंखों से फ्लूड निकलता है और लाइट सेंसटिविटी महसूस होने लगती है. 

कई बार लोगों को आई फ्लू की वजह से धुंधला भी दिखने लगता है.


आई फ्लू यानी कंजक्टिवाइटिस होने के लक्षण

आई फ्लू यानी कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) का जब संक्रमण होता है, तब आंखें लाल हो जाती हैं।

खुजली व चुभन के साथ आँखों में सूजन भी आ जाती है और आंखों से पानी भी बहता रहता है। 


आईये अब जानते है की आई फ्लू यानी कंजक्टिवाइटिस होने के क्या कारण है 

आई फ्लू यानी कंजक्टिवाइटिस बीमारी या संक्रमण होने का एक कारण नहीं है इसके कई कारण हो सकते है। 

वायरल व बैक्टीरियल संक्रमण, एलर्जी और जलन पैदा करने वाले पदार्थों के संपर्क में आने से भी यह बीमारी हो सकती है। 

भीड़भाड़ वाले इलाकों, दफ्तरों में रहने वाले लोगों और स्कूलों में बच्चों की आंखें लाल होने की आशंका सबसे अधिक होती है आमतौर पर आई फ्लू यानी कंजक्टिवाइटिस संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से अधिक फैलती है|   

आई फ्लू के वायरस लंबे समय तक सतहों पर रह सकते है। संक्रमित सतह जैसे दरवाजे की कुंडी, बेडशीट, दरवाजे, तौलिया, रूमाल आदि के माध्यम से एक से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है।


क्या आई फ्लू या कंजक्टिवाइटिस एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता का विषय बन गया है? 

बारिश और बाढ़ की वजह से देश के कई राज्यों में स्थिति बिगड़ी हुई है। 

बारिश के मौसम में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और इसकी वजह से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। गली-मोहल्ले से लेकर सड़कों पर आपको काला चश्मा लगाए लोग दिख जाएंगे।

आर्द्रता ऐसे रोगों के प्रसार के लिए एक अनुकूल कारक है।  

भारत में एक और मौसम अस्थिर है, तो दूसरी ओर तमाम तरह की गतिविधियां भी बढ़ गई हैं, ऐसे में आई फ्लू का भय बन गया है।

ध्यान देने की बात है कि देश के अनेक हिस्सों में लगातार बारिश और बाद की स्थिति के चलते स्वच्छता में भी कमी आई है।जो एक बड़ा संकट है।

कोविड-19 महामारी के बाद लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटी है और उसकी वजह से भी संक्रामक रोगों की आशंका बढ़ गई है

चिकित्सको का मानना हैं कि बारिश का दौर जब तक चलेगा, इस संक्रमण का खतरा बना रहेगा। 

वैसे भी वैज्ञानिकों का मानना है कि कंजक्टिवाइटिस भारत में आम है और ज्यादातर बरसात के मौसम में देखा जाता है।

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आई फ्लू से कैसे बचें?

वास्तव में सभी को स्वच्छता बरतने के लिए तत्पर रहना चाहिए।

हाथों को साफ रखना भी जरूरी है और अपने चेहरे या आंखों का स्पर्श करने से भी बचना चाहिए। 

कोरोना के संक्रमण के समय भी यह बार-बार कहा गया था कि अब कुछ वर्षों तक हमें संक्रामक रोगों से कुछ ज्यादा सावधान रहना होगा। 

भीड़भाड़ वाले और सार्वजनिक इलाकों में संक्रमण का खतरा और अधिक हो सकता है, इसलिए सार्वजनिक और भीड़भाड़ वाले इलाकों में सुरक्षा को लेकर विशेष सावधानी बरतें।

स्वच्छता का ध्यान रखें - अपने हाथ बार-बार धोएं। 

तौलिये या सौंदर्य प्रसाधन जैसी व्यक्तिगत वस्तुओं को साझा न करें।

आंखों को छूने या रगड़ने से बचें, क्योंकि इससे आंखों में कीटाणु पहुंच सकते हैं।

सुरक्षात्मक चश्मे का उपयोग करें - यह आपको बाहरी संक्रमण से सुरक्षित रखने में सहायक होगा। 

चश्मा पहनने से संक्रमण को नहीं रोका जा सकता, पर यह किसी व्यक्ति को अपनी आंखों को छूने से रोक सकता है, जो बीमारी के फैलने का एक प्रमुख कारण है।

संक्रमित व्यक्तियों से दूर रहें - यदि आपके आस-पास किसी को आई फ्लू है, तो संक्रमण से बचने के लिए सुरक्षित दूरी बनाए रखें।

बिना किसी डॉक्टरी सलाह के किसी भी दवा का प्रयोग न करें।

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आई फ्लू हो जाए तो क्या करें?

अपने हाथ बार-बार धोएं। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए साफ तौलिए, वॉशक्लॉथ का इस्तेमाल करें।

अपनी आंखों पर साफ, ठंडी सेक लगाएं, इससे आई फ्लू के कारण होने वाली परेशानियों को कम करने में मदद करेगा|

आंखों की सफाई का ध्यान रखें। बेहतर रहेगा आप टिश्यू का इस्तेमाल करें और फिर उसे फेंक दें।


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